किसी तरह चलना शुरू किया तो घर की चौखट लांघने की जल्दी.
2.
पंजों के पास बहुत छोटा था वह किसी तरह चलना सीख पाया था पता नहीं कब,
3.
फिर सर्दियों के आखिरी दिन थे कमरे में धूप थी मैं कुर्सी पर बैठा था धूप का एक टुकडा फर्श पर फैला था अचानक मेरी नज़र फर्श पर गई एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा वहां बैठा था मेरे पंजों के पास बहुत छोटा था वह किसी तरह चलना सीख पाया था पता नहीं कब, कैसे वहां आ गया था धूप को देखकर शायद पैर मोडे, दो हाथों से मुंह रगडता हुआ जैसे कह रहा हो यह दुनिया, यह धूप, मेरी भी है।